### ईरान और ट्रम्पी दुनिया की शुरुआत

हाल के वर्षों में, अंतरराष्ट्रीय राजनीति के परिदृश्य ने एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया है, जिसमें अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और उनके असरदार संतुलन का प्रमुख योगदान है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद, अमेरिका ने ईरान के प्रति अपनी नीति में एक कठोर मोड़ लिया, जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन आए।

ट्रंप प्रशासन ने 2015 के परमाणु समझौते, जिसे जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव एक्शन प्लान (JCPOA) कहा जाता है, से अमेरिका को बाहर निकालने का निर्णय लिया। यह समझौता ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया था, जिसमें अन्य प्रमुख शक्तियों जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन और जर्मनी ने भी भाग लिया था। ट्रंप ने इसे एक “खराब समझौता” करार दिया और इसके परिणामस्वरूप अमेरिका ने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंधों की एक नई लहर लागू की।

इन प्रतिबंधों ने ईरान की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया, जिससे वहां महंगाई और बेरोजगारी में भारी बढ़ोतरी हुई। इसके अतिरिक्त, ट्रंप का ईरान के प्रति कड़ा रुख न केवल मध्य पूर्व में बल्कि वैश्विक पटल पर भी एक अस्थिरता का कारण बना। अमेरिका के इस कदम ने ईरान को मजबूर किया कि वह अपने रक्षा कार्यक्रम को तेजी से विकसित करे और क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश करे।

इस संदर्भ में, ईरान ने अपनी उपग्रह रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया और मिसाइल परीक्षणों को जारी रखा। यह न केवल ईरान की सैन्य क्षमताओं को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि ट्रंप के नीतिगत फैसले ने ईरान को अपनी सुरक्षा के लिए अधिक स्वतंत्रता की ओर अग्रसरित किया है।

ट्रंप प्रशासन की नीति ने वैश्विक स्तर पर अमेरिका की स्थिति को कमजोर किया। यूरोपीय देश, जो पहले अमेरिका के करीबी सहयोगी माने जाते थे, अब ईरान के साथ सटीक अपनी नीतियों में परिवर्तन कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन, जो ट्रंप के बाद आए हैं, ईरान के साथ उनके द्विपक्षीय संबंधों को कैसे आगे बढ़ाते हैं।

इस प्रकार, ईरान और ट्रंप का यह संबंध केवल दो देशों के बीच की बात नहीं है, बल्कि यह नए वैश्विक आदेश की दिशा को दर्शाता है। जब एक ओर ट्रंप का प्रशासन विश्व में अपने कड़े रुख को अपनाता है, दूसरी ओर, ईरान की बढ़ती सैन्य और राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं एक नयी तरह की अनिश्चितता का संकेत देती हैं। इस नए युग में, जहां अमेरिका की उच्चतम शक्ति में कमी आ रही है, वहां विभिन्न देशों के बीच के संबंध और अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं।

अंततः, यह कहना सुरक्षित है कि हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं, जहां ईरान की भूमिका और अमेरिका के नेतृत्व का संकट एक नई नीति और विस्तार की ओर निर्देशित करेगा।