न्यूयॉर्क: भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सदस्यता के लिए ब्रिटेन ने भी समर्थन कर दिया है। यह ऐलान ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र के दौरान किया। एक दिन पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने भी भारत के पक्ष में बात की थी, जिससे यह मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक चर्चा में आ गया है।
UNSC में सुधार की आवश्यकता पर जोर
कीर स्टारमर ने अपने संबोधन में कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अधिक प्रतिनिधित्वकारी और प्रभावी बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “अगर हम इस प्रणाली को गरीबों और वंचितों के लिए काम करना चाहते हैं, तो उनकी आवाज़ भी सुनी जानी चाहिए। इसलिए हम न केवल न्यायसंगत परिणामों की मांग कर रहे हैं, बल्कि प्रतिनिधित्व में भी न्याय की बात कर रहे हैं। यह सुरक्षा परिषद पर भी लागू होता है।”
स्टारमर ने कहा कि UNSC को “राजनीतिक जटिलताओं से परे” एक ऐसा निकाय बनना चाहिए जो ठोस कदम उठाने में सक्षम हो। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में स्थायी अफ्रीकी प्रतिनिधित्व के साथ-साथ ब्राजील, भारत, जापान और जर्मनी को भी स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।
भारत का लंबे समय से समर्थन
भारत लंबे समय से UNSC में स्थायी सदस्यता की मांग करता रहा है और इस मुद्दे पर उसका समर्थन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग की है। भारत का तर्क है कि 1945 में स्थापित 15-राष्ट्रीय परिषद आज के भौगोलिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अप्रासंगिक हो गई है।
वर्तमान में केवल पांच देश—अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन—UNSC के स्थायी सदस्य हैं और उनके पास वीटो शक्ति है। इसके अलावा, 10 अस्थायी सदस्य होते हैं जो दो साल की अवधि के लिए चुने जाते हैं। भारत ने 2021-22 में अस्थायी सदस्य के रूप में कार्य किया है और अब स्थायी सदस्य बनने की मांग कर रहा है।
फ्रांस का समर्थन
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने भी बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के पक्ष में बोलते हुए कहा था कि सुरक्षा परिषद को और अधिक प्रभावी बनाना होगा। मैक्रॉन ने कहा, “हमारे पास एक सुरक्षा परिषद है जो अवरुद्ध है… हमें संयुक्त राष्ट्र को और अधिक प्रतिनिधित्वकारी और प्रभावी बनाना होगा।” उन्होंने भारत के साथ-साथ जर्मनी, जापान, ब्राजील और दो अफ्रीकी देशों को भी स्थायी सदस्यता देने की बात कही।
सुरक्षा परिषद का वर्तमान स्वरूप और चुनौतियाँ
UNSC में केवल पांच स्थायी सदस्य होने के कारण कई आलोचक मानते हैं कि यह वैश्विक स्तर पर संतुलित प्रतिनिधित्व नहीं करता है। विशेष रूप से भारत जैसे देशों का यह मानना है कि उनकी वैश्विक स्थिति, जनसंख्या और आर्थिक प्रभाव को देखते हुए उन्हें स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को लगातार उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2023 में फ्रांसीसी अखबार ‘लेस इकोस’ को दिए एक इंटरव्यू में UNSC में भारत के “न्यायसंगत स्थान” की जोरदार वकालत की थी और इस निकाय में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया था।
वैश्विक दबाव और भविष्य की उम्मीदें
ब्रिटेन और फ्रांस जैसे प्रमुख देशों के समर्थन से भारत की UNSC में स्थायी सदस्यता की मांग को और बल मिला है। हालांकि, इस मुद्दे पर चीन और रूस जैसे स्थायी सदस्यों का रुख अभी स्पष्ट नहीं है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के स्थायी सदस्य बनने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन इसके लिए वैश्विक सहमति बनाना अभी भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।
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