ईरान के खामेनेई ने इजरायल पर हमलों को बताया वैध, मुस्लिम देशों से एकजुट होने की अपील

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई ने शुक्रवार को एक सार्वजनिक उपदेश में इजरायल पर किए गए मिसाइल हमलों को “वैध” करार दिया और मुस्लिम देशों से अमेरिका और इजरायल के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। खामेनेई ने यह बयान हजारों लोगों की उपस्थिति में तेहरान की ग्रैंड मस्जिद में दिया, जहां उन्होंने हिज़बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया। नसरल्लाह की मौत 27 सितंबर को बेरूत में इजरायली हवाई हमले में हुई थी।

खामेनेई ने अपने बयान में कहा कि “क्षेत्र में प्रतिरोध कभी पीछे नहीं हटेगा, भले ही इसके नेताओं को मार दिया जाए।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिज़बुल्लाह और हमास दोनों इजरायल के खिलाफ लड़ाई में अपनी जगह पर बने रहेंगे और अंततः इजरायल और उसके समर्थकों को परास्त करेंगे।

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खामेनेई ने हमास द्वारा 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर किए गए हमले को सही ठहराते हुए कहा कि “यह सही कदम था। फिलिस्तीनियों को यह अधिकार था। इजरायल पर हमारे हमले पूरी तरह से वैध थे।” उन्होंने कहा कि हमास फिलिस्तीन के मुस्लिमों के अधिकारों के लिए लड़ रहा है और हिज़बुल्लाह भी इजरायल के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा।

हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मृत्यु पर खामेनेई ने गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि उनकी मृत्यु के बाद भी उनका प्रभाव क्षेत्र में बढ़ता रहेगा। खामेनेई ने कहा, “नसरल्लाह की लोकप्रियता और प्रभाव केवल लेबनान और ईरान तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरी अरब दुनिया में फैला हुआ था। उनकी मृत्यु के बाद उनका प्रभाव और भी अधिक होगा।”

खामेनेई ने अपने भाषण में मुस्लिम देशों से एकजुट होने और “हमारे सामान्य दुश्मन” के खिलाफ खड़े होने की अपील की। उन्होंने कहा कि अमेरिका और इजरायल मुस्लिम दुनिया के दुश्मन हैं और उन्हें हराने के लिए सभी मुस्लिम देशों को एक साथ आना होगा। खामेनेई ने यह भी कहा कि इजरायल केवल अमेरिका के समर्थन के कारण जीवित है और उसकी जड़ें अस्थिर और कमजोर हैं।

खामेनेई के इस बयान के बाद मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ गया है, खासकर ईरान द्वारा हाल ही में इजरायल पर किए गए मिसाइल हमलों और नसरल्लाह की मृत्यु के बाद। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इजरायल ने ईरान के हमले का जवाब दिया, तो क्षेत्र में युद्ध की संभावना और बढ़ सकती है।

खामेनेई के इस बयान को उनकी पांच वर्षों में पहली सार्वजनिक शुक्रवार की नमाज के रूप में देखा जा रहा है, जो इजरायल और उसके समर्थकों के खिलाफ एक मजबूत संदेश भेजने के उद्देश्य से दिया गया था।