जगमोहन सिंह धीमान यानी जगजीत सिंह जिनकी ग़ज़लों(Jagjit Singh Ghazal) का राजा भी कहा जाता आज 10 अक्टूबर 2019 को उनकी पुण्यतिथि(Jagjit Singh Death) हैं। 10 अक्टूबर 2011 को उनका निधन(Jagjit Singh Death) हुआ था। मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह के गाए भजन, गीत और गजलें आज भी उनके चाहने वालों की सुबह, दोपहर और शामें रोशन करती रहती हैं। अपने लाइव कार्यक्रमों के दौरान जगजीत सिंह चुटकुले भी खूब सुनाते थे।

पिता ने रखा नाम
जगजीत सिंह का बचपन का नाम जगमोहन था लेकिन पिता के कहने पर उन्होंने अपना नाम जगजीत सिंह रख लिया। उनके पिता चाहते थे कि वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाये लेकिन जगजीत सिंह बचपन से ही संगीत की ओर रुचि रखा करते थे। उन्होंने संगीत की शिक्षा उस्ताद जमाल खान और पंडित छगनलाल शर्मा से हासिल की थी।
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1965 से शुरू किया करियर
जगजीत सिंह ने अपने करियर की शुरुवात 1965 में होटल में गाने से की जगजीत सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान बोला कि उनका करियर बहुत ही संघर्ष से बिता वर्ष 1967 में उनकी मुलाकात गजल गायिका चित्रा दत्ता से हुई। दोनों 1969 में शादी के बंधन में बंध गए। जगजीत सिंह और चित्रा ने साथ-साथ कई गजलें गाईं. दोनों ने संगीत कार्यक्रमों में अपनी जुगलबंदी का समां बांधा।उनकी पहली एलबम ‘द अनफॉरगेटेबल्स’ (1976) बेहद हिट रही थी। उनकी गजलों को आम लोगों ने बेहद पसंद किया। प्राइवेट फिल्मों के साथ-साथ जगजीत सिंह ने कई फिल्मों में भी अपनी आवाज दी।

बेटे से था काफी प्यार
जगजीत सिंह और चित्रा के एकलौते बेटे था विवेक जिनका 1990 में कार दुर्घटना के दौरान निधन हो गया था और दोनों की ज़िन्दगी का पल बहुत दुःख से कट रहा था जिसके बाद चित्रा और जगजीत सिंह गानों से दुरी बना ली थी।

जगजीत सिंह की मशहूर गज़ल (Jagjit Singh Ghazal)
(Jagjit Singh Ghazal) ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’, ‘झुकी झुकी सी नजर’, ‘होठों से छू लो तुम’, ‘चिठ्ठी न कोई संदेश’, ‘ये दौलत भी ले लो’, ‘कोई फरियाद’ जैसी कई गजलें आज भी लोगों के बीच उन्हें जिंदा रखे हैं। उन्होंने 150 से ज्यादा एलबम भी बनाईं थी। उन्होंने फिल्मी गाने भी गाये लेकिन गजल व नज्म के लिए उन्हें विशेष रूप से लोकप्रियता हासिल है। भारत सरकार की तरफ से इस महान गजल गायक जगजीत सिंह को साल 2003 में ‘पद्म भूषण’ सम्मान से नवाजा गया था।

ऐसे हुआ सफर का अंत (Jagjit Singh Death)
जगजीत सिंह को ब्रेन हैमरेज होने के बाद 23 सितम्बर को लीलावती हॉस्पिटल में भर्ती कराया गए था जिसके बाद उनकी सर्जरी की गई, लेकिन सर्जरी के बाद उनकी हालत और ज्यादा गंभीर हो गयी थी इसके बाद 10 अक्टूबर 2011 में दुनिया वो अलविदा कह गए।
