नाथूराम प्रेमी हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक, कवि और सम्पादक थे। नाथूराम प्रेमी को कई भाषाओँ का ज्ञान था। ये अपने कविताओं को और लेखन को ‘प्रेमी’ के नाम से लिखते थे। नाथूराम प्रेमी का जन्म 26 नवम्बर 1881 में मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में ‘देवरी’ नामक स्थान पर हुआ था। इन्होंने 1898 में अपनी प्री-हाई स्कूल परीक्षाओं को पास कर लिया और रेहली में पास में ही एक स्कूली छात्र बन गए। साल 1890 में उन्होंने रामा देवी से शादी की।

कविता का शौक़
नाथूराम प्रेमी अमीर अली मीर से मिले। जिनसे मिलने के बाद उनके अंदर कविता करने का शौक़ पैदा हुआ। वे ‘प्रेमी’ के उपनाम से कविता लिखने लगे, जो ‘रसिक मित्र’, ‘काव्य सुधाकर’ आदि पत्रों में प्रकाशित हुईं। लेकिन उनका कवि रूप अल्पकालिक रहा। वे ‘मुंबई प्रांतिक दिगंबर जैन सभा’ में लिपिक रूप में काम करने के लिए मुंबई चले गए।
Hindi Granth Karyalay
24 सितंबर 1912 को प्रेमजी ने पब्लिशिंग हाउस हिंदी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय की स्थापना C.P. टैंक, मुंबई में की। यह भारत में सबसे बड़ा हिंदी प्रकाशन घर बन गया था और यह मुंबई का सबसे पुरानी किताबों की दुकान भी है।
Nathuram Premi की किताबें
नाथूराम प्रेमी को लिखने का बेहद शौक था। वे अक्सर अपने खली समय में कुछ न कुछ लिखते रहते थे। इन्होंने बहुत सी किताबें लिखी हैं। लेकिन नाथूराम प्रेमी की ये 2 किताबें बेहद प्रसिद्ध हैं।
- मोक्ष शास्त्र
- गृह-प्रबंध शास्त्र

सफर का अंत
नाथूराम प्रेमी को अस्थमा की शिकायत थी। जिसका इलाज बहुत लम्बे समय तक चला। लेकिन 30 जनवरी 1960 को मुंबई में इनका निधन हो गया था। जिसके बाद भारत ने अपने एक अमूल्य हीरे को खो दिया था। नाथूराम प्रेमजी की याद में उनके पोते यशोधर मोदी ने पंडित नाथूराम प्रेमी रिसर्च सीरीज़ शुरू की है।
