### आईईए का कहना है कि फ्रैकिंग की विशेषज्ञता भू-तापीय ऊर्जा की संभावनाओं को खोलने में सहायक हो सकती है

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें कहा गया है कि फ्रैकिंग (हाइड्रोलिक फ्रैक्चरिंग) की तकनीकों का उपयोग भू-तापीय ऊर्जा के संभावित स्रोतों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अंदाजन 2.8 ट्रिलियन डॉलर का निवेश एवं उन्नत ड्रिलिंग तकनीकों का इस्तेमाल करके हम गहरे ऊर्जा स्रोतों तक पहुँच सकते हैं।

भू-तापीय ऊर्जा, जिसे हम पृथ्वी के भीतर से उत्पन्न होने वाले गर्मी स्रोत के रूप में जानते हैं, आने वाले समय में एक महत्वपूर्ण ऊर्जा विकल्प बन सकती है। इस ऊर्जा का उपयोग न केवल बिजली उत्पादन के लिए किया जा सकता है, बल्कि यह हीटिंग और औद्योगिक प्रक्रियाओं में भी काम आ सकता है। हाल के वर्षों में, भू-तापीय ऊर्जा ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी जगह बनाई है, लेकिन इसके अधिकतम उपयोग के लिए अभी भी कई चुनौतियाँ विद्यमान हैं।

फ्रैकिंग, जो मुख्यतः शेल गैस और तेल की खोज के लिए उपयोग की जाती है, ने अमेरिका में ऊर्जा उत्पादन के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया। अब आईईए की नई रिपोर्ट के अनुसार, इसका प्रयोग भू-तापीय ऊर्जा के क्षेत्रों में भी किया जा सकता है। रिपोर्ट बताती है कि पारंपरिक भू-तापीय ऊर्जा स्रोतों की तुलना में, गहरे भू-तापीय ऊर्जा स्रोतों तक पहुँचने के लिए उन्नत ड्रिलिंग तकनीकें फायदेमंद साबित हो सकती हैं।

वैश्विक स्तर पर, ऊर्जा साधनों की बढ़ती मांग के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता भी बढ़ी है। इस संदर्भ में, भू-तापीय ऊर्जा एक स्वच्छ और स्थायी विकल्प के रूप में उभर सकती है। फ्रैकिंग जैसी तकनीकों के जरिए हम उन क्षेत्रों तक पहुँच सकते हैं जहाँ पर पारंपरिक तरीके से भू-तापीय ऊर्जा का उत्पादन संभव नहीं होता।

अनेक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हम इस क्षेत्र में उचित निवेश करें और फ्रैकिंग तकनीकों को इस दिशा में अनुकूलित करें, तो यह एक नई ऊर्जा क्रांति का आधार बन सकती है। भू-तापीय ऊर्जा के विकास से न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता में वृद्धि होगी, बल्कि यह रोजगार के अवसर भी सृजित करेगी।

हालांकि, इस दिशा में आगे बढ़ते समय पर्यावरण सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को भी ध्यान में रखना होगा। इसलिए, आईईए ने सुझाव दिया है कि नई तकनीकों के विकास और उनके लागू होने की प्रक्रिया में सततता और पर्यावरणीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

अंततः, फ्रैकिंग की विशेषज्ञता भू-तापीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई आशा लेकर आ सकती है। यदि इस संभावित संसाधन का सही तरीके से उपयोग किया जाएगा, तो यह भविष्य में हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है।