### ट्रंप के आर्थिक चयन ‘प्रतिस्पर्धियों की टीम’ का निर्माण करते हैं। इसका शुल्कों और अन्य मामलों पर क्या अर्थ है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आर्थिक नीतियों को लेकर जो निर्णय लिए गए, उनमें एक महत्वपूर्ण पहलू था ‘प्रतिस्पर्धियों की टीम’ का निर्माण। यह रणनीति न केवल उनके राजनीतिक करियर पर प्रकाश डालती है, बल्कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी इसके व्यापक प्रभाव हैं। ट्रंप की इस टीम में ऐसे अर्थशास्त्री और व्यवसायी शामिल थे, जो अतीत में उनके प्रतिद्वंद्वी रहे थे, लेकिन उन्होंने प्रतिष्ठान को बुनियादी आर्थिक मुद्दों पर एकजुट करने का काम किया।
ट्रंप के इस चुनावी दल ने अमेरिका की आर्थिक नीति में न केवल चुनौतियों को पहचाना, बल्कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए बड़े निर्णय भी किए। विशेष रूप से, उन्होंने शुल्कों (टैरिफ) को प्राथमिकता दी। यह नीति, चीन जैसे देशों के साथ व्यापार संतुलन को बनाए रखने के लिए लागू की गई थी, जहां अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क लगाए जाने से उनकी प्रतिस्पर्धा में कमी आई। इससे अमेरिकी उद्योगों को संरक्षित करने का प्रयास किया गया।
लेकिन सवाल उठता है कि इन शुल्कों का अर्थ क्या है? शुल्कों के माध्यम से ट्रंप ने अमेरिकी बाजार में घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने की कोशिश की। हालांकि, इस नीति का दीर्घकालिक प्रभाव आर्थिक संबंधों पर पड़ा। व्यापार युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में जटिलताएँ पैदा की। कई निरीक्षकों का मानना है कि इस प्रकार के निर्णयों ने व्यापारिक तंगी और महंगाई को भी बढ़ावा दिया।
ट्रंप की ‘प्रतिस्पर्धियों की टीम’ का उद्देश्य एक बृहद दृष्टिकोण अपनाना था। उनके आर्थिक सलाहकारों में से कई ऐसे थे जिन्होंने बाजार की प्रतिस्पर्धा पर जोर दिया और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के सन्दर्भ में नवीनतम प्रयोगों का समर्थन किया। लेकिन ट्रंप की शैली में अड़ियलपन और उनकी नीतियों की स्वच्छता के अभाव ने कई निवेशकों को चिंतित किया।
दूसरी तरफ, ट्रंप के समर्थक इस बात पर जोर देते हैं कि उनका टैरिफ़ नीति ने अमेरिका के उत्पादन में वृद्धि की। यहां तक कि इन नीतियों ने अमेरिका में रोजगार के कुछ अवसरों को भी बढ़ावा दिया। इस दल की रणनीति ने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी, जिससे एक नए प्रकार की आर्थिक छवि का निर्माण हुआ।
संक्षेप में, ट्रंप के आर्थिक निर्णय और उनकी ‘प्रतिस्पर्धियों की टीम’ ने ना केवल अमेरिका की आर्थिक नीतियों में हलचल पैदा की, बल्कि वैश्विक व्यापार संबंधों में भी बदलाव लाया। ये निर्णय व्यापारियों और निवेशकों के लिए सीखने का एक महत्वपूर्ण बिंदु हैं, जो यह दर्शाते हैं कि अर्थशास्त्र हमेशा संख्याओं का खेल नहीं होता, बल्कि यह एक राजनीतिक खेल भी है। भविष्य में इन नीतियों का प्रभाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर देखने को मिलेगा।