भारत और मालदीव के बीच हाल के वर्षों में संबंधों में अभूतपूर्व मजबूती देखने को मिली है। दोनों देशों ने न केवल आर्थिक सहयोग को बढ़ावा दिया है बल्कि समुद्री सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी आपसी समझ और सहयोग को गहरा किया है। इस खबर में हम इन द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति, उनके प्रमुख पहलुओं और वर्तमान में चल रही साझेदारियों की विस्तार से समीक्षा करेंगे।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत और मालदीव के संबंधों की जड़ें इतिहास में गहरी हैं। भौगोलिक निकटता और सांस्कृतिक समानताओं ने दोनों देशों के बीच समय-समय पर घनिष्ठ संबंध बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मालदीव हिंद महासागर में स्थित एक सामरिक द्वीप राष्ट्र है, और इस कारण से भारत के लिए इसका सामरिक महत्व बहुत अधिक है। वहीं, भारत मालदीव के लिए एक प्राकृतिक सहयोगी और सुरक्षा का भरोसेमंद साथी रहा है। दोनों देशों के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध 1965 में मालदीव की स्वतंत्रता के बाद से मजबूत होते गए हैं।
आर्थिक सहयोग
भारत और मालदीव के बीच आर्थिक संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में काफी वृद्धि हुई है। दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में व्यापारिक साझेदारियों और निवेश के जरिए आपसी लाभकारी संबंधों को मजबूत किया है। भारत ने मालदीव के बुनियादी ढांचे के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है, जिसमें हवाई अड्डे, सड़कों और पर्यटन क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश शामिल है।
भारत ने हाल ही में मालदीव को आर्थिक सहायता के रूप में कई विकास परियोजनाओं के लिए अनुदान और ऋण की पेशकश की है। इनमें आवास परियोजनाएँ, जल आपूर्ति और जल निकासी परियोजनाएँ, और सौर ऊर्जा उत्पादन सुविधाओं का विकास शामिल है। ये सभी परियोजनाएं मालदीव के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं और द्वीप राष्ट्र की आर्थिक स्थिरता में मददगार साबित हो रही हैं।
मालदीव की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन और मत्स्य पालन पर आधारित है, और भारत ने इन क्षेत्रों में मालदीव के साथ सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। महामारी के दौरान भारत ने “वंदे भारत मिशन” और “मिशन सागर” के तहत मालदीव को चिकित्सा सहायता और आवश्यक आपूर्ति भेजी, जिससे मालदीव की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य सेवा में स्थिरता बनी रही।
समुद्री सुरक्षा में सहयोग
हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और भारत और मालदीव दोनों देशों के लिए यह सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र है। मालदीव हिंद महासागर के रणनीतिक जलमार्गों के पास स्थित है, जो इसे समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है।
भारत और मालदीव के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग समय के साथ बढ़ता गया है। भारत ने मालदीव को नौसेना सुरक्षा के लिए कई प्रकार की तकनीकी और सामरिक सहायता प्रदान की है, जिसमें समुद्री निगरानी, खुफिया जानकारी साझा करना, और समुद्री सीमा की निगरानी में सहयोग शामिल है। दोनों देशों ने नियमित रूप से द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास भी किए हैं, जिससे समुद्री सुरक्षा तंत्र को और मजबूत किया गया है।
हिंद महासागर में बढ़ती समुद्री चुनौतियों, जैसे समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध मछली पकड़ने के मुद्दों पर भारत और मालदीव ने एकजुट होकर काम करने का संकल्प लिया है। इसके अलावा, भारत ने मालदीव की तटरक्षक बल को उपकरण और प्रशिक्षण भी प्रदान किया है ताकि वह अपने क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को और बेहतर कर सके।
क्षेत्रीय और वैश्विक परिप्रेक्ष्य
भारत और मालदीव की साझेदारी केवल द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं है। दोनों देश हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक बड़े क्षेत्रीय सहयोग का हिस्सा हैं। मालदीव ने भारत की हिंद-प्रशांत रणनीति का समर्थन किया है, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण, मुक्त और समृद्ध समुद्री मार्गों को सुनिश्चित करना है।
भारत के “नेबरहुड फर्स्ट” और “सागर” (Security and Growth for All in the Region) सिद्धांतों के तहत मालदीव एक महत्वपूर्ण भागीदार बना हुआ है। भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि वह मालदीव की संप्रभुता और स्वायत्तता का सम्मान करता है और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ उसके हितों की रक्षा करेगा।
मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दोनों देशों के संबंधों में और मजबूती आई है। राष्ट्रपति सोलिह ने कई मौकों पर भारत की “पहले पड़ोस” नीति की प्रशंसा की है और द्विपक्षीय संबंधों को और भी सुदृढ़ करने की इच्छा जताई है।
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निवेश और विकास परियोजनाएँ
हाल ही में भारत ने मालदीव में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की है। इनमें मालदीव की राजधानी माले को अन्य द्वीपों से जोड़ने वाली “ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट” भी शामिल है, जो मालदीव की अब तक की सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजना है। इस परियोजना को भारत की सहायता से पूरा किया जा रहा है और इससे द्वीप राष्ट्र की परिवहन प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है।
इसके अलावा, भारत ने मालदीव को तकनीकी सहायता और डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास में भी सहयोग दिया है। भारत-मालदीव संबंधों में शिक्षा, स्वास्थ्य, और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग के नए रास्ते खुले हैं।
कूटनीतिक मोर्चे पर मजबूती
भारत और मालदीव के बीच कूटनीतिक संबंध भी लगातार मजबूत हो रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई उच्च स्तरीय यात्राओं और बैठकों ने दोनों देशों के बीच आपसी समझ और विश्वास को और भी गहरा किया है। हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मालदीव यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जिनमें समुद्री सुरक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा किया गया।
मालदीव ने हमेशा भारत को एक भरोसेमंद सहयोगी के रूप में देखा है, और भारत ने भी मालदीव की सुरक्षा और संप्रभुता को प्राथमिकता दी है। दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों में यह स्थायित्व हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण आधार है।
निष्कर्ष
भारत और मालदीव के बीच संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में जो प्रगति हुई है, वह इस बात का प्रमाण है कि दोनों देशों के पास आर्थिक और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में एक मजबूत साझेदारी बनाने की क्षमता है। इन संबंधों की गहराई और विविधता से यह स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में भी भारत और मालदीव की साझेदारी में मजबूती और वृद्धि होती रहेगी।