बिहार में शराबबंदी के बावजूद हो रही जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में हुई होच त्रासदी में अब तक मरने वालों की संख्या 25 तक पहुंच गई है। इस घटना ने राज्य सरकार के शराबबंदी कानून की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जबकि विपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर निशाना साधा है।

घटना का विवरण

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के लौकरिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांवों में जहरीली शराब से मौतें होने की सूचना मिली थी। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, गांव में कुछ लोगों ने अवैध शराब का सेवन किया था, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई। अस्पताल पहुंचने से पहले ही कई लोगों की मौत हो गई, जबकि अन्य को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया है। पिछले कुछ दिनों में लगातार इस तरह की घटनाओं ने पूरे इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है।

प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि यह घटना अवैध तरीके से बनाई गई जहरीली शराब के सेवन से हुई है। घटना के बाद पुलिस और प्रशासन ने इलाके में छापेमारी शुरू कर दी है। कई जगहों पर अवैध शराब के अड्डों को सील कर दिया गया है और संदिग्धों की गिरफ्तारी भी की गई है।

शराबबंदी कानून पर उठे सवाल

2016 में लागू किए गए बिहार के शराबबंदी कानून का उद्देश्य शराब की खपत को पूरी तरह से रोकना था। इस कानून के तहत शराब पीना, बनाना, बेचना और रखना पूरी तरह से अवैध करार दिया गया था। हालांकि, कानून लागू होने के बाद से ही राज्य में अवैध शराब का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है, और इस तरह की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं।

विपक्ष ने राज्य सरकार को इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि शराबबंदी का फैसला तो लिया गया, लेकिन इसका क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो पाया है। पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, “शराबबंदी सिर्फ एक दिखावा बनकर रह गया है। सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए इसे ढाल बना रही है, जबकि असली अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं।”

तेजस्वी यादव के अलावा अन्य विपक्षी नेताओं ने भी सरकार की आलोचना की और मांग की है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।

“यह भी पढ़ें: वैश्विक रिबन फाइबर केबल्स बाजार का आकार 2023 में 2.40 बिलियन USD था, यह रिपोर्ट बाजार की वृद्धि, रुझान, अवसर और 2024-2030 तक के पूर्वानुमान को कवर करती है।”

सरकार का रुख

इस घटना के बाद राज्य सरकार ने कहा है कि शराबबंदी कानून के उल्लंघन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस मामले में संज्ञान लिया है और कहा है कि जो भी लोग इस अवैध धंधे में शामिल पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

हालांकि, सरकार के दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि अवैध शराब का कारोबार रोकने में प्रशासन पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति होना सरकार की नीतियों पर सवालिया निशान लगा रहा है।

बिहार पुलिस के मुताबिक, शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अब तक हजारों लीटर अवैध शराब पकड़ी जा चुकी है और सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। फिर भी अवैध शराब का व्यापार रुकने का नाम नहीं ले रहा है, जिससे बार-बार इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं।

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, शराब के सेवन से प्रभावित लोगों में से अधिकांश की स्थिति गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि जहरीली शराब पीने के कारण मरीजों के अंगों को गंभीर नुकसान पहुंचा है, और कई लोगों की हालत चिंताजनक है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की जहरीली शराब से लोगों के मरने का सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है, और इसे रोकने के लिए अवैध शराब के कारोबार पर कड़ा नियंत्रण जरूरी है।

स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने और जनता को अवैध शराब के खतरों के प्रति जागरूक करने का भी निर्देश दिया है।

छापेमारी और गिरफ्तारी

इस घटना के बाद राज्य भर में अवैध शराब के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की है और अवैध शराब के धंधे में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इन छापेमारियों से अवैध शराब के व्यापार पर कितनी रोक लग पाएगी, क्योंकि यह समस्या काफी जड़ें जमा चुकी है।

पश्चिम चंपारण पुलिस का कहना है कि घटना के बाद से अब तक कई गिरफ्तारियां की गई हैं और इस मामले में और जांच चल रही है। पुलिस अधीक्षक ने भी कहा कि स्थानीय स्तर पर अवैध शराब के कारोबार को रोकने के लिए और भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।

राजनीतिक माहौल में तनाव

बिहार में इस घटना के बाद से राजनीतिक माहौल काफी गर्मा गया है। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर बना हुआ है।

सरकार के विरोधियों का कहना है कि शराबबंदी कानून को लागू करने में प्रशासन पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है और इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। वहीं, सरकार के समर्थक इस मुद्दे पर कानून की सही तरीके से पालना करवाने की बात कर रहे हैं, लेकिन यह घटना राज्य में कानून व्यवस्था और सरकारी नीतियों की कमजोरियों को उजागर कर रही है।Memory updated

बिहार में शराबबंदी के बावजूद 25 मौतें: विपक्ष ने सरकार पर उठाए सवाल

बिहार में शराबबंदी के बावजूद हो रही जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में हुई होच त्रासदी में अब तक मरने वालों की संख्या 25 तक पहुंच गई है। इस घटना ने राज्य सरकार के शराबबंदी कानून की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जबकि विपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर निशाना साधा है।

घटना का विवरण

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के लौकरिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांवों में जहरीली शराब से मौतें होने की सूचना मिली थी। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, गांव में कुछ लोगों ने अवैध शराब का सेवन किया था, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई। अस्पताल पहुंचने से पहले ही कई लोगों की मौत हो गई, जबकि अन्य को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया है। पिछले कुछ दिनों में लगातार इस तरह की घटनाओं ने पूरे इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है।

प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि यह घटना अवैध तरीके से बनाई गई जहरीली शराब के सेवन से हुई है। घटना के बाद पुलिस और प्रशासन ने इलाके में छापेमारी शुरू कर दी है। कई जगहों पर अवैध शराब के अड्डों को सील कर दिया गया है और संदिग्धों की गिरफ्तारी भी की गई है।

शराबबंदी कानून पर उठे सवाल

2016 में लागू किए गए बिहार के शराबबंदी कानून का उद्देश्य शराब की खपत को पूरी तरह से रोकना था। इस कानून के तहत शराब पीना, बनाना, बेचना और रखना पूरी तरह से अवैध करार दिया गया था। हालांकि, कानून लागू होने के बाद से ही राज्य में अवैध शराब का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है, और इस तरह की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं।

विपक्ष ने राज्य सरकार को इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि शराबबंदी का फैसला तो लिया गया, लेकिन इसका क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो पाया है। पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, “शराबबंदी सिर्फ एक दिखावा बनकर रह गया है। सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए इसे ढाल बना रही है, जबकि असली अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं।”

तेजस्वी यादव के अलावा अन्य विपक्षी नेताओं ने भी सरकार की आलोचना की और मांग की है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।

सरकार का रुख

इस घटना के बाद राज्य सरकार ने कहा है कि शराबबंदी कानून के उल्लंघन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस मामले में संज्ञान लिया है और कहा है कि जो भी लोग इस अवैध धंधे में शामिल पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

हालांकि, सरकार के दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि अवैध शराब का कारोबार रोकने में प्रशासन पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति होना सरकार की नीतियों पर सवालिया निशान लगा रहा है।

बिहार पुलिस के मुताबिक, शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अब तक हजारों लीटर अवैध शराब पकड़ी जा चुकी है और सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। फिर भी अवैध शराब का व्यापार रुकने का नाम नहीं ले रहा है, जिससे बार-बार इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं।

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, शराब के सेवन से प्रभावित लोगों में से अधिकांश की स्थिति गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि जहरीली शराब पीने के कारण मरीजों के अंगों को गंभीर नुकसान पहुंचा है, और कई लोगों की हालत चिंताजनक है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की जहरीली शराब से लोगों के मरने का सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है, और इसे रोकने के लिए अवैध शराब के कारोबार पर कड़ा नियंत्रण जरूरी है।

स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने और जनता को अवैध शराब के खतरों के प्रति जागरूक करने का भी निर्देश दिया है।

छापेमारी और गिरफ्तारी

इस घटना के बाद राज्य भर में अवैध शराब के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की है और अवैध शराब के धंधे में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इन छापेमारियों से अवैध शराब के व्यापार पर कितनी रोक लग पाएगी, क्योंकि यह समस्या काफी जड़ें जमा चुकी है।

पश्चिम चंपारण पुलिस का कहना है कि घटना के बाद से अब तक कई गिरफ्तारियां की गई हैं और इस मामले में और जांच चल रही है। पुलिस अधीक्षक ने भी कहा कि स्थानीय स्तर पर अवैध शराब के कारोबार को रोकने के लिए और भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।

राजनीतिक माहौल में तनाव

बिहार में इस घटना के बाद से राजनीतिक माहौल काफी गर्मा गया है। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर बना हुआ है।

सरकार के विरोधियों का कहना है कि शराबबंदी कानून को लागू करने में प्रशासन पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है और इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। वहीं, सरकार के समर्थक इस मुद्दे पर कानून की सही तरीके से पालना करवाने की बात कर रहे हैं, लेकिन यह घटना राज्य में कानून व्यवस्था और सरकारी नीतियों की कमजोरियों को उजागर कर रही है।

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