कोलकाता: पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों द्वारा जारी विरोध प्रदर्शन के बीच मंगलवार को राज्य के मुख्य सचिव के साथ हुई बैठक बेनतीजा रही। सरकार के साथ चर्चा का उद्देश्य डॉक्टरों की लंबित मांगों पर समाधान निकालना था, लेकिन बातचीत किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। इसके बाद प्रदर्शनकारी डॉक्टरों में असंतोष और बढ़ गया है।
डॉक्टरों की मांगें
पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर पिछले कई दिनों से अपने कामकाज को लेकर कई मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी प्रमुख मांगों में वेतन वृद्धि, बेहतर कार्य स्थिति, चिकित्सा सुविधाओं की सुधार और अस्पतालों में सुरक्षा की गारंटी शामिल हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कामकाजी परिस्थितियों में सुधार के बिना उन्हें सही तरीके से काम करने में कठिनाई हो रही है। इसके अलावा, कई डॉक्टरों ने अस्पतालों में सुरक्षा की कमी की भी शिकायत की है, खासकर मरीजों और उनके परिजनों द्वारा होने वाले हमलों के संबंध में।
डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय से इन मुद्दों पर सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण उन्हें सड़कों पर उतरकर विरोध करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
मुख्य सचिव के साथ बैठक
राज्य के मुख्य सचिव एच. के. द्विवेदी ने मंगलवार को प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। बैठक का उद्देश्य था कि डॉक्टरों की मांगों को सुना जाए और जल्द से जल्द समाधान की दिशा में कदम उठाए जाएं। हालांकि, बातचीत के बाद डॉक्टरों ने साफ किया कि सरकार ने अभी तक कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है।
डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है और केवल औपचारिकता निभा रही है। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक विरोध जारी रहेगा।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार की ओर से कहा गया कि डॉक्टरों की मांगों पर विचार किया जा रहा है, और जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा। मुख्य सचिव ने डॉक्टरों से धैर्य रखने और बातचीत के माध्यम से ही समाधान निकालने की अपील की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसी भी तरह के प्रदर्शन के बजाय शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकालने के पक्ष में है।
हालांकि, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि सरकार की तरफ से अब तक केवल आश्वासन दिए गए हैं, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
हड़ताल का असर
इस विरोध प्रदर्शन और हड़ताल का सीधा असर राज्य के सरकारी अस्पतालों और चिकित्सा सेवाओं पर पड़ा है। कई अस्पतालों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ओपीडी सेवाएं लगभग ठप हो चुकी हैं, और सर्जरी और अन्य आपातकालीन सेवाओं में भी बाधा उत्पन्न हो रही है। कई मरीजों को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ा है, जहां खर्चा सामान्य अस्पतालों की तुलना में काफी अधिक है।
पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही थीं, और अब डॉक्टरों के इस विरोध प्रदर्शन से संकट और गहरा गया है।
डॉक्टरों की अगली रणनीति
बैठक के बाद डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे। डॉक्टरों ने कहा कि अब उनका विरोध और तेज हो सकता है, और जरूरत पड़ने पर वे सामूहिक इस्तीफा देने का भी विकल्प चुन सकते हैं।
इस बीच, राज्य सरकार और प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के बीच बातचीत की अगली तारीख पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।