जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों द्वारा एक गैर-स्थानीय व्यक्ति की हत्या का मामला सामने आया है। यह घटना गुरुवार की रात की है, जब आतंकवादियों ने एक सेब के बागान में काम कर रहे मजदूर को गोली मारकर हत्या कर दी। यह हत्या उस समय हुई जब राज्य में बढ़ती हिंसा और आतंकवादी गतिविधियों पर नियंत्रण पाने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। घटना के बाद सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेर लिया और तलाशी अभियान शुरू किया।

घटना का विवरण

यह घटना शोपियां जिले के दक्षिणी इलाके में हुई, जो आतंकवादी गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है। मृतक व्यक्ति बिहार से आया हुआ एक मजदूर था, जो यहां सेब के बागानों में काम करने के लिए आया था। आतंकवादियों ने उसे निशाना बनाते हुए गोली मार दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

सूत्रों के अनुसार, हमला रात के वक्त किया गया जब अधिकांश मजदूर काम समाप्त कर अपने अस्थायी निवासों में लौट रहे थे। अचानक आए आतंकियों ने उस मजदूर पर गोलियां चलाईं और वहां से भाग निकले। घायल मजदूर को तुरंत पास के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।

सुरक्षा बलों का रेस्पॉन्स

हत्या की जानकारी मिलते ही सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया और तलाशी अभियान शुरू कर दिया। जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों ने आतंकवादियों की तलाश में ऑपरेशन चलाया। पुलिस का कहना है कि आतंकवादियों की पहचान की जा चुकी है और उन्हें जल्द ही पकड़ने की कोशिश की जा रही है।

शोपियां जैसे संवेदनशील इलाके में इस तरह की घटनाओं ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस घटना को अंजाम देने वाले आतंकवादी शायद हाल ही में सक्रिय हुए थे और उनका मकसद राज्य में अशांति फैलाना है।

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गैर-स्थानीय लोगों पर हमले का बढ़ता चलन

जम्मू-कश्मीर में गैर-स्थानीय मजदूरों और व्यापारियों को अक्सर आतंकवादियों का निशाना बनाया जाता रहा है। पिछले कुछ वर्षों में गैर-स्थानीय लोगों पर हमलों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह घटनाएं खासकर उन जिलों में ज्यादा होती हैं जहां सेब उत्पादन और कृषि के अन्य कामों में बड़ी संख्या में मजदूर बाहर से आते हैं।

आतंकवादी इन हमलों के जरिए राज्य में बाहरी मजदूरों के प्रवास को रोकने और राज्य की आर्थिक गतिविधियों को बाधित करने की कोशिश करते हैं। इन घटनाओं ने मजदूरों में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है, जिससे राज्य के कई हिस्सों में काम करने वाले मजदूर अपना काम छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।

सरकारी प्रतिक्रिया

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और मृतक के परिवार के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की है। उन्होंने कहा कि ऐसी कायरतापूर्ण हरकतों से राज्य में शांति और विकास की दिशा में चल रहे प्रयासों को बाधित नहीं होने दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने सुरक्षा बलों को निर्देश दिए हैं कि इस घटना में शामिल आतंकवादियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और सख्त कार्रवाई की जाए।

इसके अलावा, सुरक्षा बलों ने राज्य में गैर-स्थानीय मजदूरों और व्यापारियों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कदम उठाने की घोषणा की है। इस दिशा में संवेदनशील इलाकों में पेट्रोलिंग बढ़ाने और मजदूरों के रहने वाले स्थानों पर निगरानी रखने का भी निर्णय लिया गया है।

इलाके में तनावपूर्ण माहौल

इस घटना के बाद से शोपियां और उसके आस-पास के इलाकों में तनाव का माहौल है। गैर-स्थानीय मजदूरों में भय व्याप्त है, और कई मजदूरों ने अस्थायी रूप से अपना काम छोड़ने का फैसला किया है। हालांकि, प्रशासन ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि उनकी सुरक्षा के लिए सभी संभव उपाय किए जाएंगे।

सुरक्षा बलों ने इलाके में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए गश्त बढ़ा दी है और संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

आतंकी संगठनों की भूमिका

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, इस घटना के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन शामिल हो सकते हैं, जो लंबे समय से राज्य में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे संगठन अक्सर गैर-स्थानीय लोगों को निशाना बनाकर राज्य में डर और असुरक्षा का माहौल बनाने की कोशिश करते हैं।

जम्मू-कश्मीर पुलिस का मानना है कि इस घटना के पीछे हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों का हाथ हो सकता है, जो दक्षिण कश्मीर के इलाकों में सक्रिय हैं।

पहले भी हो चुके हैं हमले

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब गैर-स्थानीय लोगों को आतंकवादियों ने निशाना बनाया हो। पिछले कुछ वर्षों में भी इस तरह के हमलों में कई निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है। आतंकवादी इन हमलों के जरिए राज्य में बाहरी लोगों के प्रवेश को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि राज्य की आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को प्रभावित किया जा सके।

निष्कर्ष:

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा गैर-स्थानीय लोगों पर हो रहे हमले राज्य की सुरक्षा और शांति के लिए एक गंभीर चुनौती बन गए हैं। सुरक्षा बलों के लगातार ऑपरेशन और सरकार के सख्त रुख के बावजूद ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ने चिंता बढ़ा दी है।